गुरुवार, 16 अगस्त 2018

COMBINED DEFENCE SERVICES EXAMINATION (II), 2018 [INCLUDING SSC WOMEN (NON-TECHNICAL) COURSE] (Commission’s Website www.upsc.gov.in)


EXAMINATION NOTICE NO.11/2018.CDS-II DATED 08.08.2018 (Last Date for Submission of Applications: 03.09.2018)

 COMBINED DEFENCE SERVICES EXAMINATION (II), 2018 [INCLUDING SSC WOMEN (NON-TECHNICAL) COURSE] (Commission’s Website www.upsc.gov.in) 

IMPORTANT:

 1. CANDIDATES TO ENSURE THEIR ELIGIBILITY FOR THE EXAMINATION: The candidates applying for the examination should ensure that they fulfil all the eligibility conditions for admission to the Examination. Their admission at all the stages of the examination will be purely provisional subject to satisfying the prescribed eligibility conditions. Mere issue of Admission Certificate to the candidate will not imply that his candidature has been finally cleared by the Commission. Verification of eligibility conditions with reference to original documents will be taken up only after the candidate has qualified for interview/Personality Test. 
2. HOW TO APPLY Candidates are required to apply online by using the website www.upsconline.nic.in Brief instructions for filling up the online Application Form have been given in the Appendix-II. Detailed instructions are available on the above mentioned website.
3. LAST DATE FOR SUBMISSION OF APPLICATIONS: The Online Applications can be filled upto 03rd September, 2018 till 6:00 PM. 
4. The eligible candidates shall be issued an e-Admit Card three weeks before the commencement of the examination. The e-Admit Card will be made available on the UPSC website (www.upsc.gov.in) for downloading by candidates. No eAdmit Card will be sent by post. All the applicants are required to provide valid & active e-mail i.d. while filling up online application form as the Commission may use electronic mode for contacting them. 
5. PENALITY FOR WRONG ANSWERS: Candidates should note that there will be penalty (Negative Marking) for wrong answers marked by a candidate in the Objective Type Question Papers. 
6. For both writing and marking answers in the OMR sheet (Answer Sheet) candidates must use black ball pen only Pens with any other colour are prohibited. Do not use Pencil or Ink pen. Candidates should note that any omission/mistake/discrepancy in encoding/filling of details in the OMR answer  sheet especially with regard to Roll Number and Test Booklet Series Code will render the answer sheet liable for rejection. Candidates are further advised to read carefully the “Special Instructions” contained in Appendix-III of the Notice. 
7. FACILITATION COUNTER FOR GUIDANCE OF CANDIDATES:
 In case of any guidance/information/clarification regarding their application, candidature etc. candidates can contact UPSC’s Facilitation Counter near Gate ‘C’ of its campus in person or over Telephone No.011-23385271/011-23381125/011- 23098543 on working days between 10:00 hrs. to 17:00 hrs.

 8. MOBILE PHONES BANNED:
 (a) Mobiles phones, pagers/bluetooth or any other communication devices are not allowed inside the premises where the examination is being conducted. Any infringement of these instructions shall entail disciplinary action including ban from future examinations. 
(b) Candidates are advised in their own interest not to bring any of the banned items including mobile phones/pagers/bluetooth or any valuable/costly items to the venue of the examination as arrangements for safe keeping cannot be assured. Commission will not be responsible for any loss in this regard.

for more information
http://www.upsc.gov.in/examinations/Combined%20Defence%20Services%20Examination%20%28II%29%2C%202018

बुधवार, 15 अगस्त 2018

सड़क पर काम करनेवाला लड़का बना IAS OFFICER


कहते हैं कि अगर कोई इंसान मजबूत इरादे से किसी काम को करे तो दुनियां की कोई ताकत उसे हरा नहीं सकती। बड़ी से बड़ी परेशानियां इंसान के जज्बे के आगे बौनी साबित होती हैं। आज हम बात कर रहे हैं ऐसे शख्स की जिसे वक्त ने बुरी तरह तोड़ के रख दिया लेकिन उसने हार नहीं मानी और आज उस इंसान को दुनियां सलाम करती है.
हम बात कर रहे हैं आई ए आस रमेश घोलप की जो आज उन युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं जो सिविल सर्विसिज में भर्ती होना चाहते हैं। रमेश को बचपन में बाएं पैर में पोलियो हो गया था और परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि रमेश को अपनी माँ के साथ सड़कों पर चूड़ियाँ बेचना पड़ा था। लेकिन रमेश ने हर मुश्किल को मात दी और आई ए एस(IAS) अफसर बनकर दिखाया।
रमेश के पिता की एक छोटी सी साईकिल की दुकान थी। यूँ तो इनके परिवार में चार लोग थे लेकिन पिता की शराब पीने की आदत ने इन्हें सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया। इधर ज्यादा शराब पीने की वजह से इनके पिता अस्पताल में भर्ती हो गए तो परिवार की सारी जिम्मेदारी माँ पर आ पड़ी। माँ बेचारी सड़कों पर चूड़ियाँ बेचने लगी, रमेश के बाएं पैर में पोलियो हो गया था लेकिन हालात ऐसे थे कि रमेश को भी माँ और भाई के साथ चूड़ियाँ बेचनी पड़ती थीं।

गाँव में पढाई पूरी करने के बाद बड़े स्कूल में दाखिला लेने के लिए रमेश को अपने चाचा के गांव बरसी जाना पड़ा। वर्ष 2005 में रमेश 12 वीं कक्षा में थे तब उनके पिता का निधन हो गया। चाचा के गाँव से अपने घर जाने में बस से 7 रुपये लगते थे लेकिन विकलांग होने की वजह से रमेश का केवल 2 रुपये किराया लगता था लेकिन वक्त की मार तो देखो रमेश के पास उस समय 2 रुपये भी नहीं थे।
पड़ोसियों की मदद से किसी तरह रमेश अपने घर पहुंचे। रमेश ने 12 वीं में 88.5 % मार्क्स से परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद इन्होंने शिक्षा में एक डिप्लोमा कर लिया और गाँव के ही एक विद्यालय में शिक्षक बन गए। डिप्लोमा करने के साथ ही रमेश ने बी ए की डिग्री भी ले ली। शिक्षक बनकर रमेश अपने परिवार का खर्चा चला रहे थे लेकिन उनका लक्ष्य कुछ और ही था।

रमेश ने छह महीने के लिए नौकरी छोड़ दी और मन से पढाई करके यूपीएससी(UPSC) की परीक्षा दी लेकिन 2010 में उन्हें सफलता नहीं मिली। माँ ने गाँव वालों से कुछ पैसे उधार लिए और रमेश पुणे जाकर सिविल सर्विसेज के लिए पढाई करने लगे। रमेश ने अपने गाँव वालों से कसम ली थी कि जब तक वो एक बड़े अफसर नहीं बन जाते तब तक गाँव वालों को अपनी शक्ल नहीं दिखाएंगे।

आखिर 2012 में रमेश की मेहनत रंग लायी और रमेश ने यूपीएससी की परीक्षा 287 वीं रैंक हासिल की। और इस तरह बिना किसी कोचिंग का सहारा लिए, निरक्षर माँ बाप का बेटा बन गया आई ए एस(IAS) अफसर और फ़िलहाल रमेश जी झारखण्ड के खूंटी जिले में बतौर एस डी एम तैनात हैं।
दोस्तों अक्सर देखा जाता है कि हम लोग अपने दुःखों के लिए हमेशा आंसू बहाते रहते हैं। अपने अभावों को ही अपना नसीब मानकर पूरा जीवन गुजार देते हैं लेकिन कुछ रमेश जी जैसे लोग ऐसे भी हैं जो हालातों को अपना नसीब नहीं बनाते बल्कि अपना नसीब खुद लिखते हैं।

सोमवार, 13 अगस्त 2018

Finaly I am Selected In PCS with 73 rank- Ias Guru sharad tiwari (Motivational Story In IAS Exam)

नमस्कार दोस्तो, आपके सामने आज हम एक ऐसी आत्मसम्मान की कहानी पेश करने जा रहे है जो आपकी सोच बदल देगी और आप अपने लिये और अपनो के लिये कुछ ऐसा करने का व्रत लेंगे जो आपने खुद कभी सपने में भी नही सोचा होगा !
ये कहानी आईएएस गुरू शरद तिवारी ”नि:शब्द” द्वारा लिखी गई है , तो चलिये दोस्तो शुरु करते है  -
click here 
गली के नुक्कड़ की चाय की दुकान अड्डा थ चौधरी जी एवं खान चाचा की राजनीतिक एवं धार्मिक चर्चा की .जहाँ दोनों दिन भर के काम से थके हारे अपना अनुभव साझा करते थे और थोड़ी हंसी मजाक के बाद घर लौट जाते थे ! चौधरी जी जहाँ लोक निर्माण विभाग में इंजीनियर थे वहीँ खान चाचा इण्टर कॉलेज में प्राध्यापक ! दोनों रोज की तरह ही चर्चा में लगे हुए थे तभी अचानक खान चाचा ने चौधरी जी का ध्यान खींचते हुए कहा चौधरी जी ये तो अपना सुमित है ना ? चौधरी जी ने नजर दौड़ाई तो उनका बेटा सुमित किसी लड़की के साथ बाइक पर तेजी से चला जा रहा था और वह लड़की भी इतनी अभद्र अवस्था में बैठी हुई थी कि चौधरी जी को भी शर्म आ गयी ! लेकिन अगले ही पल अपनी झेंप को मिटाते हुए चौधरी जी ने कटाक्ष किया कि चाचा …चौधरियों का खून है .. गर्म तो होगा ही और ये उम्र भी ऐसी होती ही है ..इस बात पर दोनों ठहाके लगाकर हंस पड़े ….पर कुछ देर बाद सामने से ही चौधरी जी की बेटी किसी लड़के के साथ बाइक पर घर की तरफ जा रही थी हालाँकि यह बहुत ही सभ्य अवस्था में बैठी थी ..पर थी तो लड़की न ? .. चाचा ने व्यंग्य भरी निगाहों से चौधरी जी की तरफ देखा और चौधरी जी इस बार चुप रहे ! ..जल्दी ही दोनों ने चाय ख़त्म की और चौधरी जी घर की ओर तेजी से चल पड़े ! गुस्से से उनका चेहरा तमतमा उठा था !
चौधरी जी के दो बच्चे थे बड़ी बेटी श्रेया और छोटा बेटा सुमित ! श्रेया परास्नातक अंतिम वर्ष में थी और सुमित स्नातक अंतिम वर्ष में ! इंजीनियर का बेटा एवं छोटा होने के कारण सुमित लाढ प्यार में बिगड़ गया था हालाँकि श्रेया भी फैशन एवं शौक बहुत रखती थी किन्तु वह सुमित की तरह अय्याश नहीं थी ! आज उसका परास्नातक का अंतिम पेपर था एवं कॉलेज में ही सीढ़ियों से उतरते समय वो लड़खड़ा गयी जिससे उसके पैर में हल्की सी मोच आ गयी ! राहुल ( जो उसका जूनियर था और उसको दीदी बोलता था और बहन की तरह मानता भी था ) के साथ घर आ रही थी तभी चाचा और चौधरी जी की नजर उसपर पड़ी और हंगामा खड़ा हो गया ! चौधरी जी को सच पता नहीं था !! इधर जैसे ही चौधरी जी गुस्से में घर पहुंचे ..श्रेया और सुमित ने अपनी अपनी फरमाइशें रख दी …सुमित बोला पापा मुझे पीसीएस की तैयारी करने दिल्ली जाना है और श्रेया ने कहा पापा मैं एमफिल करना चाहती हूँ …लेकिन श्रेया चौधरी जी के गुस्से से बिलकुल अंजान थी ! उसके इतना कहने पर चौधरी जी उसपर बरस पड़े … उन्हें खुद नहीं पता था कि वो क्या कहे जा रहे हैं … मां ने जब पूछा कि आखिर उसकी गलती क्या है ..तो बोले की सडकों पर लड़कों के साथ घूमती है ..मेरी इज्जत तार तार कर दी .इसको आगे पढ़ने से अच्छा है इसका मुंह जल्दी से काला कर दो … श्रेया को बहुत बड़ा धक्का लगा ..जिनपर वो इतना ज्यादा यकीन भरोसा करती है उनको जरा भी यकीन नहीं है अपनी बेटी पर …… श्रेया के आंसू भर आये …और भरे हुए गले से बोली ..पापा जरा सा तो यकीन कर लिया होता … एक बार सच जानने की कोसिस तो की होती …और इतना कहकर वो ऊपर अपने कमरे में चली गयी …..!
कमरे में अपने पापा की बातों को याद करके बार बार रोती रही और रोते रोते जाने कब उसे नींद आ गयी … ! रात में मां खाने के लिए जगाने भी आई पर उसने खाना खाने से मना कर दिया …मां ने जब सच्चाई बताई तो चौधरी जी को अपने किये पर पछतावा हुआ …..अगली सुबह श्रेया देर से उठी और उस दिन भी उसने न तो खाना खाया और न ही किसी से बात की …सबने बहुत मनाया और माफ़ी मांगी पर पता नहीं इस बार जख्म कुछ गहरे थे वो बार बार पापा की बातों को याद करके रो रही थी ! मम्मी पापा ने सोचा कि धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा अभी गुस्सा है लेकिन ऐसा नहीं हुआ कहते हैं न “””” कि जीभ में लगे जख्म जल्दी ठीक हो जाते है लेकिन जीभ से लगे जख्मों को भरने में बहुत समय लगता है “”” कुछ यूँ ही श्रेया के साथ भी हुआ… अगले दिन एमफिल के आवेदन की अंतिम तिथि थी लेकिन श्रेया ने आवेदन नहीं किया .उसे इस बात का दर्द था की किसी ने उससे एक बार भी नहीं कहा की बेटी तू पढ़ ….अब श्रेया खाना तो खाने लगी थी पर उसका स्वभाव बहुत बदल गया था … अगली सुबह सुमित दिल्ली जाने के लिए तैयार हो गया और उसे आशीर्वाद देते समय पापा इतने खुश थे जैसे वह पीसीएस बनने नहीं बनकर जा रहा हो ! .. .. बस श्रेया ने भी फैसला कर लिया की अगर पीसीएस इतनी अच्छी चीज है जो उसका खोया हुआ आत्मसम्मान वापस दिला सकती है तो वह पीसीएस बनकर दिखाएगी …! पर कैसे ..? ..इसके बारे में उसे कुछ नहीं पता था …पर भरोसा था उसे अपनी जिद पर …!
उसने इंटरनेट में खोजना शुरू किया … थोड़ा मिला तो और रूचि जगी … इस थोड़ा थोड़ा करके उसने पीसीएस के बारे में सबकुछ पता कर लिया …जाने कितनी websites और पेज सर्च किये …और तीन दिन में उसे सब कुछ मालूम चल गया की इसका पाठ्यक्रम कैसा है ..? .. कैसे पेपर आते हैं ..? ..पेपर में किस प्रकार के प्रश्न आते हैं ..? .. फॉर्म कब निकलते हैं आदि आदि …. अभी अप्रैल चल रहा था और उसे पता था की पेपर मार्च में होगा यानि उसके पास लगभग 10 माह का समय है …websites के माध्यम से उसने बुक लिस्ट तैयार करी ..कि आखिर उसे कितनी बुक्स की जरुरत पड़ेगी ..? …पर सवाल था की बुक्स कौन लेकर आये …? क्योंकि वह बाहर नहीं जाना चाहती थी ..इसके लिए उसने न्यूज़ पेपर लाने वाले लड़के चंदू को चुना ..क्योकि ज्यादातर पेपर के लिए श्रेया ही गेट खोलती थी … उसने चंदू को लिस्ट थमा दी और बोली की ये बुक्स तू ले आ तो तुझे 100 का दूंगी पर हाँ किसी को पता न चलने पाये एक एक करके ही लाना ..चंदू खुश हो गया…..!!

उसदिन श्रेया ने अपना सारी दिनचर्या व्यवस्थित कर ली ..किस समय क्या क्या करना है सब फिक्स हो गया … अगली सुबह एक नयी सुबह थी … हर दिन 7 या 8 बजे उठने वाली श्रेया आज 4 बजे ही उठ गयी थी ..सारे काम जल्दी जल्दी ख़त्म करके … लॉन में पढ़ाई के लिए बैठ गयी ..पापा ऑफिस चले गये थे और मां काम में लगी हुई थी … घर वालों को उसके बदले हुए स्वभाव का अहसास हो गया था …शाम में पापा के वापस आने पर मां ने उनसे जिक्र किया ..कि अपनी बेटी अब सुधर गयी है …..पहले गर्मियों में दोस्तों के साथ बाहर घूमने जाया करती थी .., सारी गर्मियों में जाने कितनी फ़िल्में खत्म हो जाती थी … पर इस बार …..इतना कहकर उनका गला भर आया ….. !! …श्रेया के लिए अब शादी , पार्टी , पिकनिक आदि के मायने खत्म हो गए थे …. उसकी दुनिया उसके अपने कमरे तक थी और उसकी दोस्त उसकी अपनी किताबें …जब कभी बोर होती तो कमरे कि खिड़की से खड़े होकर बाहर का नजारा देखती …… और पुरानी बातों को याद करके फिर से थोड़ा रो लेती ……. उसकी अपनी फ्रेंड्स भी तैयारी करने या आगे पढ़ने बाहर चली गयी थी और वहां उनको नए दोस्त मिल गए जिसके बाद उन्होंने श्रेया से बात करना बहुत कम कर दिया ….. इसका कारण यह भी था कि उनको लगता था कि श्रेया अब घर में कुछ नहीं कर पायेगी … !! ..

मम्मी ने भी उसे बहलाने कि बहुत कोसिस की उसके मां का खाना बनाया , उसे बार बार समझाया ..कई बार तो जो टीवी प्रोग्राम श्रेया को बहुत पसंद होते थे मम्मी उन्हें लगाकर ..वॉल्यूम बढ़ा देती थी ताकि कोई वजह हो जिससे वह किसी तरह नीचे आ जाये ..पर श्रेया अब पूरी बदल चुकी थी ….. समय बीतता गया और श्रेया भी दिन रात मेहनत करती रही ….आखिर वह दिन भी आ गया जिस दिन उसकी प्रारंभिक परीक्षा थी …श्रेया ने मां से कहा आज एक फ्रेंड की पार्टी है मुझे जाना है …. मम्मी ने उसे नहीं रोका क्योंकि 10 महीने में पहली बार वह घर से बाहर निकल रही थी …उसने प्रारंभिक परीक्षा दी .. और घर आकर फिर दुगनी तेजी से मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुट गयी … कुछ दिनों बाद प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम आया सुमित ने फ़ोन करके घर बताया कि उसने प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली है …. मम्मी पापा के खुशियों का ठिकाना नहीं रहा .. पास तो श्रेया भी थी पर उसने किसी को नहीं बताया था कि वह पीसीएस की तैयारी भी कर रही है !

कुछ दिनों बाद मुख्य परीक्षा भी आ गयी फिर श्रेया ने कुछ बहाने बनाकर मुख्य परीक्षा दी … और फिर से तैयारी में जुट गयी …. मुख्य परीक्षा का परिणाम आया और इस बार भी श्रेया पास हुई पर सुमित पास नहीं हुआ था उसे अपनी ख़ुशी से ज्यादा अपने भाई का दुःख था ….. श्रेया ने इंटरव्यू की तैयारी की और उसका इंटरव्यू भी अच्छा गया ….. अब वह अंतिम परिणाम की प्रतीक्षा करने लगी और वो दिन भी आ गया जिस दिन उसका अंतिम परिणाम आना था ….. श्रेया ने जल्दी ही सारे काम खत्म किये और लैपटॉप खोलकर बैठ गयी ….पर रिजल्ट में अभी भी coming soon ही शो हो रहा था ..वह निराश हो गयी और एक उपन्यास पढ़ने लगी …पढ़ने में इतना तल्लीन हो गयी की समय का पता ही नहीं चला और तभी दिव्या दीदी का फ़ोन आया …श्रेया तूने अपना रिजल्ट देखा …? …मैं तो सेलेक्ट हो गयी हूँ …श्रेया बोली दीदी मैं देख बताती हूँ … श्रेया को बहुत दर लग रहा था …धडकने बढ़ गयी थी …उसने वेबसाइट खोली और लिस्ट चेक करने लगी ….उसने ऊपर से 50 नंबर तक देखा पर उसका नाम नहीं था ….वो बहुत दर गयी .. अब वह नीचे से देखने लगी … नीचे से ऊपर आते समय 73 नंबर पर उसने अपना रोल नंबर देखा ..एक बार फिर मिलाया …फिर कई बार मिलाया उसे यकीन नहीं हो रहा था ….

उसने तुरंत फेसबुक प्रोफाइल खोली और 10 माह बाद अपडेट किया …..””” Finaly I am Selected In PCS with 73 rank “” .. और उसपर उसकी फ्रेंड्स का massage आया ….. गुड जोक और दूसरे का कि अच्छा मजाक है तेरे बस की बात नहीं ….. और एक का आया कि मुझे यकीन था कि तू एक दिन बनेगी .श्रेया के सामने उसके सपनों की दुनिया पंख फैलाए खड़ी थी …! … सुमित ने पोस्ट पढ़ी और तुरंत पापा को घर फ़ोन किया …. चौधरी जी को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था ..वो दौड़ कर ऊपर श्रेया के कमरे में पहुंचे …. श्रेया कि आँखों में उन जख्मों का दर्द साफ झलक रहा था जो चौधरी जी ने उसे बहुत पहले दिए थे …चौधरी जी ने उसे गले से लगा लिया …और दोनों फफक फफक कर रो पड़े …. दोनों कि आँखे बरस रही थी ..बस फर्क इतना था कि एक कि आँखों में प्रायश्चित के आंसू थे तो दूसरे की आँखों में आत्मसम्मान के ….!!!!

Courtesy: https://gktrickhindi.com/ias-topper-success-story-in-hindi/

एमपीएससी परीक्षेत यश मिळवण्यासाठी क्लास लावावाच का?






नमस्कार मित्रानो, मी प्रकाश पोळ. राज्यसेवा 2016 परीक्षेतून गटविकास अधिकारी या  पदासाठी माझी निवड झाली आहे. रिजल्ट लागल्यापासून मी अनेक विद्यार्थी मित्रांशी बोललो आहे. बहुतेक जणांचा एक महत्वाचा प्रश्न म्हणजे पोस्ट मिळण्यासाठी क्लास लावलाच पाहिजे का? क्लास लावल्याशिवाय पोस्ट मिळत नाही का? हा प्रश्न सर्वाना पडण्याचे कारण म्हणजे सध्या MPSC/UPSC क्षेत्रात क्लासेसचे प्रचंड मार्केटिंग चालू आहे. निवड झालेल्या प्रत्येक अधिकार्याचा फोटो कोणत्या ना कोणत्या क्लासच्या बॅनरवर असतो. काही क्लासेस वर्तमानपत्रातून भल्या मोठ्या जाहिराती देतात. त्यात निवड झालेल्या बहुतांशी अधिकाऱ्यांची नावे आणि फोटो छापलेले असतात. 
महाराष्ट्रभर वितरित होणाऱ्या वर्तमानपत्रात या जाहिराती बघून तयारी करणारे विद्यार्थी आणि त्यांच्या पालकांना वाटते कि निवड झालेले सर्व अधिकारी कोणत्या ना कोणत्या क्लासला होते. परंतु वस्तुस्थिती तशी नसते. बहुतांशी अधिकारी हे बिगर क्लासवाले असतात. मग त्यांचे फोटो क्लासवाले का छापतात? तर त्याचं असं आहे, जेव्हा एखादा विद्यार्थी कोणत्याही क्लासच्या मदतीशिवाय MPSC/UPSC चा अभ्यास करत असतो तेव्हा तो पूर्व आणि मुख्य परीक्षा क्लासच्या मार्गदर्शनाशिवाय पास होतो. परंतु मुलाखतीसाठी त्याला मार्गदर्शनाची आवश्यकता भासते. मग क्लासवाले मुलाखतीसाठी मोफत मार्गदर्शन करतात. त्यांच्यासाठी mock interviews आयोजित केले जातात. त्याबदल्यात त्यांच्याकडून त्यांचा एक फोटो आणि डिटेल्स घेतल्या जातात. जेव्हा अंतिम निकाल लागतो तेव्हा ज्या विद्यार्थ्यांची निवड झाली आहे त्यांचे फोटो तर क्लासवाल्यांकडे असतात. ते छापले जातात. 
विद्यार्थ्यांना मुलाखतीसाठी मोफत मार्गदर्शन मिळालेले असते त्यामुळे ते या गोष्टीला objection घेत नाहीत. परंतु यामुळे लाखो विद्यार्थ्यांची दिशाभूल होते आणि त्यांचा असा समज होतो कि क्लास लावल्याशिवाय यश मिळत नाही. माझा अनुभव वेगळा आहे. क्लास लावला पाहिजे असं मला कधीच वाटलं नाही. परंतु आर्थिक परिस्थिती सक्षम असती तर कदाचित क्लास लावला असता. परंतु क्लासेसची अव्वाच्या सव्वा फी परवडणारी नव्हती. त्यामुळे self study वर भर दिला. राज्यसेवा पूर्व, मुख्य परीक्षा पास झाल्यानंतर सर्वांप्रमाणे मीही एखाद्या क्लास चा मार्गदर्शन वर्ग join करायचे ठरवले. जेव्हा मुख्य परीक्षा संपते तेव्हा लगेच मुलाखतीचे मार्गदर्शन वर्ग सुरु होतात. राज्यसेवा 2016 ची मुख्य परीक्षा सप्टेंबर मध्ये संपली. एक महिन्याने STI मुख्य परीक्षा होती. मी आणि माझे दोन मित्र मुलाखत मार्गदर्शनासाठी एका क्लासमध्ये गेलो. माझा first key नुसार स्कोअर 350, आणि त्या दोन मित्रांचा 340, 373. आम्ही तिघेही मुलाखतीसाठी मार्गदर्शन पाहिजे म्हणून गेलो होतो. जातानाच एका मित्राने सांगितले कि 350 मार्क्स ला तुला तिथे मार्गदर्शन मिळणार नाही. मार्क्स वाढवून सांग. पण मला ते योग्य वाटले नाही. आम्ही तिघांनीही खरे स्कोअर सांगितले. तर त्या सरांचा रिस्पॉन्स वेगवेगळा होता.

  • 340 मार्क्स - तुमची निवड होणार नाही. तुम्ही मुलाखतीची तयारी करू नका.
  • 350 मार्क्स- तुम्हाला एखादी क्लास2 वगैरे मिळू शकते. तुमचा स्कोअर कमी आहे. सध्या तुम्ही STI मुख्य परीक्षेची तयारी करा.
  • 373 मार्क्स- तुमचा स्कोअर खूप चांगला आहे. तुम्हाला 100% Dy.SP मिळेल. तुम्ही उद्यापासून  जॉईन करा. 





अजून second answer key यायची होती. तरी निष्कर्ष कसा काय काढला. आणि 340 वाला पास होईल कि नापास हे आधीच कसे ठरवले. अजून लेखी पेपरचे 100 मार्क्स बाकी होते. त्यात कुणाची किती क्षमता आहे याचा निर्णय क्षमता तपासण्याआधीच कसा होऊ शकतो. मार्गदर्शन करायचे कि नाही हा त्यांचा वैयक्तिक प्रश्न होता, पण प्रयत्नच करू नका असे सांगून नाउमेद का करायचे? मला राज्यसेवाच करायची असताना STI करायचा सल्ला देणे योग्य आहे का? जिथे मला 350 मार्क्स ला क्लास 2 पोस्ट मिळू शकते असे त्यांना वाटत होते. माझी लेखी परीक्षेची आणि मुलाखतीची क्षमता आधीच कशी तपासली? मग प्रत्यक्षात काय झालं? मला लेखी पेपरला 61 आणि मुलाखतीत 70 मार्क्स मिळाले. Second answer key ने 350 वरून 354 स्कोर झाला. एकूण बेरीज 485 होऊन गट विकास अधिकारी हि क्लास 1 पोस्ट मिळाली. महत्वाची गोष्ट हि कि मार्क्स चांगले असतील तरच त्या विद्यार्थ्याबद्दल आत्मीयता आणि कमी असतील तर दुजाभाव का ? ज्यांनी मला त्यावेळी मुलाखतीसाठी मार्गदर्शन करायला आत्मीयता दाखवली नाही त्यांनी माझे फोटो मात्र छापले...आमचा विद्यार्थी म्हणून. काही क्लास चालकांनी प्रामाणिक मदत केली. त्यांचे ऋण मी कधीच विसरणार नाही. इथे कुणाचाच उल्लेख करत नाही. मला मार्गदर्शन करणारे आणि न करणारे सर्वांबद्दल मला खूप आदर आहे. यश मिळाले तरी मी जमिनीवर आहे. फक्त  भावी पिढीची दिशाभूल होऊ नये यासाठी हा प्रामाणिक प्रयत्न. यात कुणावरही टीका करण्याचा, कुणाच्या भावना दुखवण्याचा हेतू नाही. क्लास लावावा कि नाही हा ज्याचा त्याचा वैयक्तिक प्रश्न आहे. मात्र मी क्लास लावला नव्हता हि पण वस्तुस्थिती आहे.

सोमवार, 31 अगस्त 2015

कर्नाटक की तीन युद्धे....

भारत के इतिहास मे तीन कर्नाटक युद्ध लड़े गये

भारत के इतिहास में जो तीन कर्नाटक युद्ध लड़े गये, वे इस प्रकार थे-
  1. प्रथम युद्ध (1746 - 1748 ई.)
  2. द्वितीय युद्ध (1749 - 1754 ई.)
  3. तृतीय युद्ध (1756 - 1763 ई.)
भारतीय इतिहास में कर्नाटक युद्ध के अन्तर्गत, तीन युद्ध लड़े गये हैं। ये युद्ध अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में अंग्रेज़ों तथा फ़्राँसीसियों के बीच लड़े गये थे। ये युद्ध अंग्रेज़ों और फ़्राँसीसियों की प्रतिद्वन्द्विता के परिणामस्वरूप हुए थे, और उनकी यूरोप की प्रतिस्पर्द्धा से भी सम्बन्धित थे। ये युद्ध अठारहवीं शताब्दी के आंग्ल-फ़्राँसीसी युद्धों का ही एक भाग थे। इनको 'कर्नाटक युद्ध' इसलिए कहा जाता है कि, ये भारत के कर्नाटक प्रदेश में लड़े गये थे। कर्नाटक का प्रथम युद्ध 'सेण्ट टोमे' के युद्ध के लिए स्मरणीय है। यह युद्ध फ़्राँसीसी सेना एवं कर्नाटक के नवाब अनवरुद्दीन के मध्य लड़ा गया।

झगड़ा फ़्राँसीसियों द्वारा मद्रास की विजय पर हुआ, जिसका परिणाम फ़्राँसीसियों के पक्ष में रहा, क्योंकि 'कैप्टन पेराडाइज' के नेतृत्व में फ़्राँसीसी सेना ने महफ़ूज ख़ाँ के नेतृत्व में लड़ रही भारतीय सेना को 'अदमार नदी' पर स्थित 'सेण्ट टोमे' नामक स्थान पर पराजित कर दिया।

द्वितीय युद्ध

कर्नाटक के प्रथम युद्ध की सफलता से डूप्ले की महत्वाकांक्षा बढ़ गई थी। किन्तु कर्नाटक का दूसरा युद्ध हैदराबाद तथा कर्नाटक के सिंहासनों के विवादास्पद उत्तराधिकारियों के कारण हुआ। आसफ़जाह, जिसने दक्कन में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की थी, उसका उत्तराधिकारी बना। किन्तु उसके भतीजे मुजफ़्फ़रजंग ने इस दावे को चुनौती दी। दूसरी ओर कर्नाटक के नवाब अनवरुद्दीन तथा उसके बहनोई चन्दा साहब के बीच विवाद था। फ़्राँस तथा ब्रिटिश कम्पनियों ने एक-दूसरे के विरोधी गुट को समर्थन देकर इसे और भड़काना शुरू कर दिया।

तृतीय युद्ध


कर्नाटक का तीसरा युद्ध 'सप्तवर्षीय युद्ध' का ही एक महत्त्वपूर्ण अंश माना जाता है। 'सप्तवर्षीय युद्ध' में फ़्राँस ने आस्ट्रिया को तथा इंग्लैण्ड ने प्रशा को समर्थन देना शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप भारत में भीफ़्राँसीसी और अंग्रेज़ सेना में युद्ध प्रारम्भ हो गया। 1757 ई. में फ़्राँसीसी सरकार ने काउण्ट लाली को इस संघर्ष से निपटने के लिए भारत भेजा। दूसरी ओर बंगाल पर क़ब्ज़ा करके अपार धन अर्जित कर लेने के कारण अंग्रेज़ दक्कन को जीत पाने में सफल रहे।

source: http://darshanonair.blogspot.in/2015/06/blog-post_734.html?m=1

नौकरी नहीं मिलती क्योंकि आप करते हैं ये गलतिया

आज के जॉब सीकर्स नौकरी ढूंढने के पैसिव तरीके में यकीन नहीं करते। आप ऐसी गलती ना करें। जितने लोगों से मिलें, उन्हें बताएं कि आप किस तरह की नौकरी की तलाश में हैं। अपना रिज्यूमे हर उस शख्स को दें, जिसको आप दे सकते हैं। इससे आपकी पहुंच नौकरी देने वाले शख्स तक भी हो पाएगी और आपको नौकरी मिलने की संभावनाओं में इजाफा होगा।
अपनी खोज का दायरा बढ़ाएं
नौकरी को लेकर आपके प्रयास क्या केवल अखबारों में छपे विज्ञापनों तक सीमित हैं? या फिर इंटरनेट में विभिन्न जॉब साइट्स तक ही आप सीमित हैं? तो फिर अपनी सर्च को सीमित ना करें। देखा जाए तो विज्ञापन आदि के जरिए नौकरी बहुत कम लोगों को ही मिल पाती है।
ज्यादातर लोगों को मिली नौकरी किसी की बताई हुई होती है। ऐसे में लोगों को पता होना चाहिए कि आपको किस तरह की नौकरी की जरूरत है। मान लीजिए किसी वजह से आप इंटरव्यू में रिजेक्ट हो जाते हैं तो फिर आप एंप्लॉयर से यह जरूर पूछें कि आपने कहां क्या कुछ गलत किया और आपको क्या करना चाहिए था।
हालांकि इस बात की गारंटी है कि ज्यादातर एंप्लॉयर आपको सीधे-सीधे कोई जवाब नहीं देंगे। ज्यादातर आपसे सहानुभूति ही दिखाएंगे लेकिन अगर कोई कुछ बताता है जो फिर उस कमी पर काम करके उसे दूर करने की भरपूर कोशिश करें। फिर अगर आप अपनी गलती पूछते हैं तो एंप्लॉयर की राय आपके बारे में यही बनेगी कि आप उसकी कंपनी में अब भी काम करने के इच्छुक हैं।
प्रॉब्लम कहां है?
आप टाइम भी पूरा दे रहे हैं, रिज्यूमे देने के बाद फॉलो-अप भी कर रहे हैं लेकिन आपको उतने इंटरव्यू कॉल नहीं आ रहे तो फिर समस्या को ढूंढने की कोशिश करें। हो सकता है समस्या आपके रिज्यूमे या फिर कवर लैटर में हो। आपको उनका एक प्रोफेशनल रिव्यू करना होगा। आप कॅरियर काउंसलर की सलाह ले सकते हैं।
फॉलोअप कर सकते हैं
आपने तो रेज्यूमे भेज दिया था, उसके बाद क्या हुआ। यह भी ध्यान रखें। सब कुछ अपने-आप होने का इंतजार ना करें। आप फोलो-अप कॉल कर सकते हैं या फिर ई-मेल भेज सकते हैं। ऐसा करके आप इंटरव्यू के लिए अपॉइंटमेंट भी फिक्स कर सकते हैं।

(source: m.rajasthanpatrika.patrika.com/story/success-mantra/mistakes-you-do-in-interview-1277162.html )

रविवार, 23 अगस्त 2015

आम्हाला आपले लिखान पाठवा....


 कृपया तज्ञ, लेखक, अभ्यासु व्यक्तींनी आपले लेख त्याचप्रमाने स्पर्धा परिक्षाच्या उपयुक्त साहीत्य असल्यास आम्हाला नक्की पाठवा. प्रसिद्दी योग्य मजकुराला आम्ही तुमच्या नावासहीत आमच्या ब्लाग वर प्रसिद्ध करु...

साहीत्य पाठविण्याकरिता आपण संपर्क फार्म चा उपयोग कर शकता किंवा Email: S.r.kokare1992@gmail.com या इमेल पत्त्यावर पाठवु शकता...

COMBINED DEFENCE SERVICES EXAMINATION (II), 2018 [INCLUDING SSC WOMEN (NON-TECHNICAL) COURSE] (Commission’s Website www.upsc.gov.in)

EXAMINATION NOTICE NO.11/2018.CDS-II DATED 08.08.2018 (Last Date for Submission of Applications: 03.09.2018)  COMBINED DEFENCE SERVI...